तिलक लगाने का मन्त्र
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
भोग लगाने का मन्त्र
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
भोजन से पूर्व बोलने का मन्त्र
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।
भोजन के बाद का मन्त्र
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः ।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः ।
अग्नि जिमाने का मन्त्र
ॐ भूपतये स्वाहा, ॐ भुवनप,
ॐ भुवनपतये स्वाहा ।
ॐ भूतानां पतये स्वाहा ।।
कहकर तीन आहूतियाँ बने हुए भोजन को डालें ।
या
ॐ नमो नारायणाय ।।
कहकर नमक रहित अन्न को अग्नि में डालें ।
शयन का मन्त्र
जले रक्षतु वाराहः स्थले रक्षतु वामनः ।
अटव्यां नारसिंहश्च सर्वतः पातु केशवः ।।
सूर्य दर्शन मन्त्र
कनकवर्णमहातेजं रत्नमालाविभूषितम् ।
प्रातः काले रवि दर्शनं सर्व पाप विमोचनम् ।।
श्री राम के जप मन्त्र
1.
ॐ राम ॐ राम ॐ राम । श्री राम के जप मन्त्र
2.
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
3.
श्रीं राम श्रीं राम ।
4.
क्लीं राम क्लीं राम ।
5.
फ़ट् राम फ़ट् ।
6.
रामाय नमः ।
7.
श्री रामचन्द्राय नमः ।
8.
श्री राम शरणं मम् ।
9.
ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा ।
10.
श्री राम जय राम जय जय राम ।
11.
राम राम राम राम रामाय राम ।